Wednesday, June 30, 2010

hans le ae duniya

हमारे घर को असमान की बुलंदियां

सह सकी

शगुफ्तगी की कमान

हाथों में मेरे

रह सकी |


सकता तो वो बरसता ही क्यूँ हम पर

छत हमारी ही क्यूँ

गिरती हमपर |


कल दुनिया बारी हमारी आएगी

चेहरे पे हंसी हमारी आएगी,

कर लोगे क्या कर के दिखादो

एक दिन बारी हमारी आएगी, हमारी आएगी, हमारी आएगी |

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